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मुकम्मल कर दो इस चाहत को, दिखा दो दुनिया कैसी है

एक शायर का यह शेर नेत्रहीन लोगों के दिलों में छुपी चाहत को बयां करने के लिए सटीक है। पटना जू 50 साल पूरे होने पर उनकी यह चाहत काफी हद तक साकार करने जा रहा है। दरअसल इस जू में एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर बनने जा रहा है। आपको बता दें कि पहला ब्रेल कॉरिडोर लखनऊ के जू में है।

अब नेत्रहीन भी उठा सकेंगे पटना जू का आनंद:चिड़ियाघर में बनेगा एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर; ब्लाइंड फ्रेंडली होगा जू

सितंबर, 2007 में रोहित कुमार ‘मीत’ एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली से लखनऊ लौट रहे थे. ट्रेन में पढऩे के लिए रोहित ने सुप्रसिद्ध कवि दिवंगत गोपाल दास नीरज का कविता संग्रह कारवां गुजर गया और चर्चित …

Now even blind people will be able to enjoy Patna Zoo. Asia’s second Braille corridor to be built in the zoo; Zoo will be blind friendly

‘Let those who have not seen it yet see the scene, let us exchange eyes with each other.’ These lines of Bharat Bhushan Pant fit more…

Patna News: After Lucknow, Patna to get Asia’s 2nd Braille Corridor in the Zoo; how it will help visually impaired

Patna News: Visually impaired people will be able to see the animals in the zoo like other people. Asia’s second Braille Corridor will give them the opportunity to have a vision to explore the…

Bihar: पटना जू होगा ब्लाइंड फ्रेंडली जू,चिड़ियाघर में बनेगा एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर

लखनऊ जू में एशिया का पहला ब्रेल कॉरिडोर बनाया गया है। इसका मॉडल मीत वेलफेयर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट रोहित कुमार मीत ने तैयार किया था। साल 2018 में यह मॉडल लखनऊ जू में काफी हिट हुआ और इससे नेत्रहीन भी चिड़ियाघर की सैर करने लगे। …

पटना जू में बन्ने जा रहा एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर, अब नेत्रहीन लोग भी जा सकेंगे चिड़ियाघर

Lucknow Metro is India’s first to launch Braille smart cards for visually impaired passengers

Great news from Lucknow. On the first anniversary of its launch, the Lucknow Metro has introduced Braille smart cards for the convenience of visually impaired passengers. Called Go Smart Cards, Lucknow Metro is the first in India to launch this.

शख्सियतः कविता की स्पर्श कथा

सितंबर, 2007 में रोहित कुमार ‘मीत’ एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली से लखनऊ लौट रहे थे. ट्रेन में पढऩे के लिए रोहित ने सुप्रसिद्ध कवि दिवंगत गोपाल दास नीरज का कविता संग्रह कारवां गुजर गया और चर्चित शायर बेकल उत्साही का संग्रह लफ्जों की घटाएं साथ ले रखे थे. एक वे पढ़ रहे थे और दूसरा बगल में था. ट्रेन में रोहित के सामने की बर्थ पर …
र साल चार जनवरी का दिन दुनियाभर में ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। दृष्टिहीनों के लिए यह दिन विशेष होता है क्‍योंकि आज ही के दिन दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी भरने वाले लुई ब्रेल का जन्‍म हुआ था। लुई ब्रेल ने ही ब्रेल लिपि को जन्‍म दिया था जिसके चलते आज दृष्टिहीन लोग भी पढ़ लिख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। लखनऊ के चिडियाघर में भी दृष्टिहीनों के लिए विशेष व्‍यवस्‍था है। चिडियाघर में दृष्टिबाधित भी वन्‍य जीवों से जुडी जानकारियों को पढ़ सकते हैं। चिडियाघर के प्रकृति शिक्षण केंद्र में ब्रेल बोर्ड के जरिए वन्‍य जीवों की जानकारी देने की व्‍यवस्‍था की गई है। चिड़ियाघर प्रशासन और एक निजी संस्‍था के संयुक्‍त प्रयास से यह प्रयास मूर्त रूप ले सका है।

दिव्यांग एवं बुजुर्ग मतदाताओं के लिए प्रत्येक बूथ पर स्वयं सेवकों की व्यवस्थाः डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी

लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दृृष्टिबाधित एवं दिव्यांग मतदाताओं के लिए मतदाता बनने से लेकर अपना बहुमूल्य मत देने तक की विशेष व्यवस्था की गई है। सुगम एवं समावेशी चुनाव कराना निर्वाचन आयोग का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। जिससे कोई भी दिव्यांग एवं बुजुर्ग मतदाता कहीं भी अपना मतदान करने से वंचित न रहे। विशेष प्रयास करते हुए अवसर की समानता के साथ सभी के लिए मतदान करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

लखनऊ का चिड़ियाघर बना भारत का सबसे पहला ब्लाइंड फ्रेंडली ज़ू

रोहित कुमार मीत जब लखनऊ चिड़ियाघर गए तो उन्होंने देखा कि वहां पर नेत्रहीन लोगो के लिए कोई सुविधा नहीं है. इसी की चलते उन्होंने चिड़ियाघर पर मौजूद पशु-पक्षियों के विषय में ब्रेल लिपि में बोर्ड लगवाने का काम शुरू किया ताकि नेत्रहीन लोग भी जान सके कि कैसे कैसे जानवर वहां रहते हैं. यह कदम इतना सफल हुआ कि चिड़ियाघर में एक ब्रेल कॉरिडोर भी स्थापित हो चूका है. रोहित के अनुसार ये एशिया का पहला ऐसा कॉरिडोर है जो इस चिड़ियाघर में स्थापित किया गया है. ….

Zoo gets blind-friendly with Braille information boards

LUCKNOW: Visually impaired since birth, 14-year-old Kavita has visited the zoo a few times. However, her Sunday’s visit was unlike any other till now. For the first time, no one had to tell her what she was looking at. “The white tiger weighs 175kg and can live for about 20 years,” she read to herself. As her fingers traced the words in Braille on the information board, the delight of the experience brought a smile to her face.